अभी इस ब्‍लॉग में कविता लता (काव्‍य संग्रह)प्रकाशित है, हम धीरे धीरे शील जी की अन्‍य रचनायें यहॉं प्रस्‍तुत करने का प्रयास करेंगें.

प्रथम लज्जा

जब नयन मिले,
मन मिले,
मूक थी भाषा
जागी युग-युग की सुप्त कुमारी आशा।
पल में आलापन सुना,
निवेदन अपना,
उर ने उर से कर दिया,
हो यथा सपना।
प्रिय ! क्या कोई भी
इसको समझ न पाया
शशि को घूंघट में,
छिपना कैसे आया।
व्रीड़ा का चिकना हास
कमल पर छाया
यह थी
तन्वी पर
प्रथम अजानी माया।

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